सोचता हू कभी तो सिर्फ़ तुम्हारा ही ख्याल आता है ?
हर फूल किया हर पतियों में तुम्हारा ही चेहरा दिखाई देता है ?
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मेरे और आपके बीच अजीब से रिश्तों का एहसास है ? मैंने कभी
कहने की हिम्मत नहीं की ?आपने कभी समझने की कोशिश नहीं की ?
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अपनी आँखों से देखा तो अजनबी सा लगा,
माथे को दुखाया तो सारा समंदर याद आने लगा।
हाँ, तुम वो ही हो ना जो वर्षो पहले मेरी आरजु बनी थी ?
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दिल परेशान है इस कदर आज क्यों फिर से,
दबी हुई मोहब्बत जाग उठी आज क्यों फिर से।
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जितनी इज्जत से तुझे प्यार करता था या करते है।
उतनी ही इज्जत से तुझे प्यार करते रहेंगे।
ये तुझको और अपने आपको विश्वास देता हूँ
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कहने के लिए मैं शायर हूँ इसलिए हर इंसान की नियत
पहचाता हूँ, मगर मेरे शेर भी झूठे होने लगते उस बेवफा को
देखकर जिनका तारिफ किया करता था कभी शेरो में।
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बच्चे है नादान है पाँच सो हजार में मान जाते है ?
मार देते पत्थर हिफाजत करने वाले फरिसते को,
कभी तो अकल आयेगी इन नादान बच्चों को ?
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ऐ खुदा तुम्हें किस तरह मैं बखसू समझ नहीं आता,
अगर जुदा ही करना था तो उनसे मिलाया ही क्यों था?
⭐ ANAND
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