कभी आखो के तारा थे, उसीके दिल में रहते थे,
मैं कहता हू नहीं ऐसा वही ऐसा मुझसे कहते थे
तुम्हे ना देखू सुबह को तो दिन अच्छा नहीं होता,
तुम जो दिख जाओ हमे तो दिन अच्छा हो जाते थे
मैं कहता हू नहीं ऐसा वही ऐसा मुझसे कहते थे
गुजारो कुछ पल साथ तो वक्त भी यु कट जाते थे,
अकेले में वक्त साये की तरह ठहर जाते थे,
मैं कहता हू नहीं ऐसा वही ऐसा मुझसे कहते थे
जमाने से हम लड़ सकते, तुम दोगे साथ मेरा,
कियो झूठी तसली वो हर पल देते रहते थे
मैं कहता हू नहीं ऐसा वही ऐसा मुझसे कहते थे
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हाले दिल सब पढ़ लेता है, कोई मुझे पढ़ नहीं पाता।
मतलबी है ये दुनिया वाले, मेरी आँसू कियो नहीं दिखता।
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आज फिर “मिलन” पीने की जीद ना करो,
मैं पहले से ही बहुत ज्यादा पी रखा हूँ ।
गम आए मेरे दरवाजे पे तो खुद झक मारे,
पहले से ही बहुत गम दिल में भर रखा हूँ।
जब हजार दिल इस चेहरे पे रिझते थे,
मैं गुमान में कुछ इस तरह फुला रहता था।
ये फैसला नहीं तो और किया है कुदरत का ?
सब हँसते है मुझ पे और मैं चेहरा छुपा रखा हूँ।
⭐ ANAND
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