07 February 2020

Khyal/Poetry:--राहे मोहब्बत ऐ मंजिल


राहे मोहब्बत ऐ मंजिल सबको कहाँ मिलती है ?
हौसला ऐ चिराग कब बुझ जाए पता कहाँ चलती है ?

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सभी खुश है मुझसे एक तेरे सिवा ?
उस गजल की तलाश में आज भी हूँ,
जिसे सुना मैं तुझे खुश कर सकूँ

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काफ़ी दिनों से हिचकी नही आयी है,
ऐसा लगता है किसी अपने ने भुला दिया है।

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घर की औरतें भी कमाल की होती, 
आपस में उलझे हुए बालों को सुलझा लेती, 
मगर,आपस में उलझे हुए रिश्ते नहीं सुलझा पाती ?

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दिल खिलौना बना, उनके नजरों में आज 
टूट कर यू गिरे, उनके कदमों में आज
बात दिल में बसाने का, उन्होंने ही किया 
हुआ किया “मिलन” उनके जज्बा को आज

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मैं हर बात को आखिरी बात समझ
दिल को तसल्ली देता हूँ 
वो हर बार मेरे दिल को तसल्ली दे कहती है-
“फिर कभी बात करूंगी” 

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उसने थोड़ी सी हँसकर बात क्या कर ली,
मैं तो अपना औकाद ही भूल गया ?

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ये मेरा शौक है या मजबूरी,
हर एक गजल के बाद एक नया 
गजल लिख लेता हूँ।
खुदा का लाख शुक्र इसी बहाने तु
म्हें याद कर लेता हूँ। 


आनन्द 

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