मिलन की आश दिल में लिए दो बसंत बितने वाला है,
मन कहता चल उड़ जा पंछी अपना देश ?
तजुरवा कहता कुछ देर तो रुक सबेरा होने वाला है।
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मेरे मुस्काने की बजह मत पूछ ? “दर्द ए जख्म” उभर जाएगे,
तुम भी ओंरो की तरह “खिस्सा ऐ आम” सुन चल दोगी ?
मैं भी पहले की तरह जख्म ए मरहम मलता रह जाएगा।
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मैं दीवाना बनू या पागल बनू इल्जाम ना तुझपे आएगा
बेफिक्र रहो, खुश हाल रहो, जिस जगह पे हो आवाद रहो,
मैं कल भी खामोश था आज भी हू और कल भी रहूँगा
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उसके साथ मिलकर ख्वाब क्या सजाउ, खाख ?
वो कल किसी और के साथ थी, जो आज मेरे साथ है,
परसो किसी और के साथ होगी, जो आज मेरे साथ है,
मगर मुझ जैसे दिवानो का किया जो रोज छलै जाते है ?
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गर प्यार दोनों तरफ होता तो हम एक दूसरे को भुला दिये होते ?
प्यार तो मैंने एक तरफा किया था। इसलिए अब तक भूला ना पाये ।
⭐ आनन्द
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