तुमने छेड़ा मुझे मैं तो पागल हुआ,
अच्छा पहले ही था जो छेड़ा ना था।
जख्म फिर से हरे आजकल हो गये,
अच्छा पहले ही था जो कूदेड़ा ना था
तुझको भूला दू तुने वर्षो पहले कहा था,
इस दिल पे पत्थर मैंने रख लिया था,
दर्द फिर से शुरू आजकल हो गये,
अच्छा पहले ही था जो पत्थर हटाया ना था
आँसू छलक आया आज इन आँखों में,
सूखे पड़े थे पत्ते अपने ही साखो में,
जिशम में जान फिर आजकल आने लगे,
अच्छा पहले ही था जो जिशम में जान ना था
(छेड़ा= याद दिलाना)
⭐⭐⭐⭐⭐⭐
आपकी मर्जी आप ही जानो,
दिल को लगाओ या दिल को तोड़ो।
मैं तो हूँ इक नादान खिलौना,
आपकी मर्जी दिल से जितना खेलो।
मैं तो फूल बना आपकी खातिर,
आपकी मर्जी पैरों से जितना कूचलो।
मैं काफी हूँ गम उठाने के लिए,
आपकी मर्जी इस काबिल ना समझो।
“मिलन” की आश इन आँखों में,
आपकी मर्जी हमसे मिलने ना आओ।
⭐ ANAND
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