21 January 2020

Poetry:--मिलन ए नादान दिल


मिलन ए नादान दिल इजहारे मोहब्बत वर्षो पहले 
भी ना कर सका,
क्म्वाखत दिल आज तक Facebook पर Friend Request 
भी ना भेज सका।

⭐⭐⭐⭐⭐⭐

तेरे आने का एहसास हर घड़ी क्यों होते है
तुम नहीं आओगे जानते हैं दिल क्यों नहीं मानते हैं।
ऐसा लगता खुशबू की तरह मेरे आस पास ही रहते हो,
हवाओं में मिलके तेरी यादें बदन को गुदगुदा जाते हैं।

⭐⭐⭐⭐⭐⭐

तू भी वादे की पक्की है अदृश्य शक्ति बन मेरे 
आस पास ही रहती है।ऐहसान तेरा ये कैसा 
मुझ पर, जब भी देखता सामने होती है। माना कि 
ए सोच मिलन गुजरा हुआ कल लगता है। फिर भी तू 
नित्य मेरे शरीर में, नव ऊर्जा का संचार भरती है।

⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐

तेरे साये से लिपट कर रोने का आज मन करता हैं,
सच कहूँ तो दिल से गुनाह कबूल करने का मन करता हैं।
मोहब्बत खेल होता गर तो सबसे बड़ा खिलाड़ी मैं होता ?
हर दिल फरेब को दिल तोड़ने का सजा जरूर मिलता है।

⭐⭐⭐⭐⭐⭐

“मिलन” ए नादान दिल अपनों से अपना पन समझ 
गीला सिकवा कर लिया,अपनों ने पराया समझ 
पहले बात करने का, सलिका सिखने का नसिहत दे दिया।

⭐ ANAND

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