20 January 2020

Khyal/Poetry:--अजनबी बन के गुदगुदाया,


अजनबी बन के गुदगुदाया ना करो,
सामने आ के पहचान छुपाया ना करो
अंदाजे बया सब वही सलीका भी वही,
ऐसा लगता है पहले भी मिल चुके हैं कभी।
आदत तुम्हारा जुबा खामोशी का गया नहीं
हर बात दिल में रख छुपाया ना करो
तेरे जुबा से सुनने को तरसती रह गई,
मैं देखते देखते गैरो की होकर रह गई।
जाने क्यों तुझे वो बात कहना आया नहीं
मुझे हँसा अपनी आँसू छुपाया ना करो
चलो फिर से जीवन की शुरुआत करे,
मिलन नसीब में नहीं दोस्ती ही करे।
हमारा दोस्ती भी खुदा को रास आया नहीं
हम दूर रहे फिर भी भुलाय ना करो

⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐

हम दिवानो की क्या हस्ती है टूट कर एक 
दिन शौक से बिखर जाऊँगा।
होने ना देंगे कभी बदनाम तुझे,राज ए 
दिल में मोहब्बत ले कर मर जाऊँगा ।

⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐

मिन्रते ए मिलनबार बार की हमने,
इतना आँसू बहाया पैर धूल गये उनके।
पत्थर होता तो भगवान निकल आते,
प्रेम कहां समझते शैतान दिल उनके ?


⭐ ANAND

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