सपनों की लड़ाई में तुम जीतो मैं हारा
इसी तरह बहती रहे जीवन धारा
दो पाटो में पीसता है संघर्ष हमारा
सुख दुःख दोनों है नदी जीवन किनारा
सपनों की लड़ाई में........।
दुःख से कौन अब तक बच पाया है ?
सुख किसको अब तक मिल पाया है ?
और चाहिए और चाहिए की चाहत में
खेत खलिहान घर गाँव सब है छोड़ा
सपनों की लड़ाई में...........।।
(तुम = अधिक लालसा)
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चकोर तेरी किस्मत में लिखी है जूदाई,
चाँद को दूर से देखना ललचाना व तड़पना
फिर भी तू चाँद के सलामती की दुआ माँगती
हर रोज ईश्वर से कामना उससे मिलने की करती
शायद यही सोच रात भर मीलों चलती व उड़ती ,
एक टक (ध्यान से) होकर उसे देखती रहती है।
ऐसा नहीं है कि चाँद तेरी चाहत को नहीं समझता,
किस्मत के आगे आखिर किसका जोर है चलता ?
जमीं आसमा की दुरी कोई आखिर कैसे मिटा सकता ?
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घर की औरतें भी कमाल की होती,
आपस में उलझे हुए बालों को सुलझा लेती,
मगर,आपस में उलझे हुए रिश्ते नहीं सुलझा पाती ?
⭐आनन्द
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