18 January 2020

Khyal/Poetry:--गजब की सौधी महक है तेरे


जी करता लौट जाऊ फिर से उन तंग गलियों में, 
नंगे पाँव दौड़ा करता था कभी जिन तंग गलियों में
उजालो ने जकड़ रखा है पैर परदेश में, चाह कर भी 
लौट नहीं पाता हूँ फिर से उन तंग गलियों में

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गजब की सौधी महक है तेरे बदन की,
बरसों बाद भी महसूस होता गलीयो से गुजरने पर 

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हसरत पहले ही राख हो चुकी,तमंना फिर भी बाकी है
की तेरे शहर से गुजरु और तुझे मालूम हो तो
एक कप चाय, पिलाने के लिए मुझे जरूर बुला लेना

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मैं हैरान हूँ उस बाग को देखकर, जिसे वर्षो पहले भुला था
हाँ, याद आया ओ लम्बी मुलाकाते, घंटों साथ बिताया था।
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अपनी नजरों से हमे ना उतारो, तुम्हारे दिल से निकल जाऊंगा
समय का किया भरोसा कभी तो तेरे लिए पुराना हो जाऊंगा

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धीरे धीरे दिल की धड़कन कम होती जा रही है,
ऐसा लग रहा मिलन की घड़ी खत्म होती जा रही है
अपनी यादो में मेरी सूरत बसाए रखना सनम,
मेरी रूह अब आसमा में खुदा से मिलने जा रही है 

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काफ़ी दिनों से हिचकी नही आयी है,
ऐसा लगता है किसी अपने ने भुला दिया है।

⭐ आनन्द

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