18 January 2020

KHYAL/Poetry:- फूलों की औकाद कहां


तुम्हारा ख्वाब आँखों में इस कदर आज कल रहता है
ना दिन को चैन ना रात को करार आज कल मिलता है

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फूलों की औकाद कहां नजरें मिला ले मेरे महबूब से,
मैं तो डालीयो को देखा झुकते उसके आगे अदब से

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मैं चोर तो नहीं, पर चोर निगाहों से तुझे देखता 
कल तक घंटों इंतजार नुक्कड़ पर किया करता 
कहने के लिए तू मुझसे दूर गयी हम बिछड़ गये,
सकून ए दिल अपडेट तेरी तस्वीर फेसबुक पे देखता

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प्रेम राधे कृष्ण सा हम दोनों किया ये भी सच्च हैं
कभी हम इजहार ए मोहब्बत किया ये भी सच्च हैं।
हम उम्मीद भरी निगाहों से देखते रहे ये भी सच्च हैं,
हम दूर बहुत दूर जाते देख रोते रहे ये भी सच्च हैं। 

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राग द्धेष की बातें हम क्यों नहीं समझते है,
वो अपना ही भाई है क्यों नहीं समझते है
मैं हिन्दू तू मुसलमान इस नफरत में जलते रहे ?
मातृभूमि अपनी एक हैं क्यों नहीं समझते हैं।

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सभी खुश है मुझसे एक तेरे सिवा ?
उस गजल की तलाश में आज भी हूँ,
जिसे सुना मैं तुझे खुश कर सकूँ


⭐ आनन्द

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