07 February 2020

Khyal/Poetry:--राहे मोहब्बत ऐ मंजिल


राहे मोहब्बत ऐ मंजिल सबको कहाँ मिलती है ?
हौसला ऐ चिराग कब बुझ जाए पता कहाँ चलती है ?

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सभी खुश है मुझसे एक तेरे सिवा ?
उस गजल की तलाश में आज भी हूँ,
जिसे सुना मैं तुझे खुश कर सकूँ

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काफ़ी दिनों से हिचकी नही आयी है,
ऐसा लगता है किसी अपने ने भुला दिया है।

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घर की औरतें भी कमाल की होती, 
आपस में उलझे हुए बालों को सुलझा लेती, 
मगर,आपस में उलझे हुए रिश्ते नहीं सुलझा पाती ?

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दिल खिलौना बना, उनके नजरों में आज 
टूट कर यू गिरे, उनके कदमों में आज
बात दिल में बसाने का, उन्होंने ही किया 
हुआ किया “मिलन” उनके जज्बा को आज

⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐

मैं हर बात को आखिरी बात समझ
दिल को तसल्ली देता हूँ 
वो हर बार मेरे दिल को तसल्ली दे कहती है-
“फिर कभी बात करूंगी” 

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उसने थोड़ी सी हँसकर बात क्या कर ली,
मैं तो अपना औकाद ही भूल गया ?

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ये मेरा शौक है या मजबूरी,
हर एक गजल के बाद एक नया 
गजल लिख लेता हूँ।
खुदा का लाख शुक्र इसी बहाने तु
म्हें याद कर लेता हूँ। 


आनन्द 

03 February 2020

Khyal/Poetry:--चेहरा छुपाये दूपटा से,


चेहरा छुपाये दूपटा से, मुँह मोड़कर जाया ना करो। 
साथ तो चले है कुछ देर, फिर अजनबी बनाया ना करो। 
ये आँखों का खामोशी समझ, जज्वात से तुम खेलाया ना करो। 
मुझे अपनी होंठों से लगा लो, गैर बना के ठुकराया ना करो। 
हूशन ने लूटा है दिवानो को, रिवाज तोड़कर जाया ना करो। 
मैं समंदर बन जाऊँगा, प्यार से इनकार किया ना करो। 
ये गम अमानत है तेरी, राज ये किसी से बताया ना करो। 
धूप छाँव सी ये जिन्दगी है, सत्य से इनकार किया ना करो।

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दिल खिलौना बना, उनके नजरों में आज I
टूट कर यू गिरे, उनके कदमों में आज।
बात दिल में बसाने का, उन्होंने ही किया I
हुआ किया “मिलन” उनके जज्बा को आज।

⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐

मैं हर बात को आखिरी बात समझ दिल को तसल्ली देता हूँ I
वो हर बार मेरे दिल को तसल्ली दे कहती है फिर कभी बात करूंगी” I

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उसने थोड़ी सी हँसकर बात क्या कर ली, 
मैं तो अपना औकाद ही भूल गया ?

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कल होली थी हर साल की तरह,इस साल भी खूब होली खेली I
मगर हर साल के तरह इस साल भी,तेरी तस्वीर संग होली खेली ।



⭐ आनन्द

25 January 2020

khyal/poetry:--तू तो नहीं आती



तू तो नहीं आती मुझसे मिलने होगी तुम्हारी कोई मजबूरी ?
मगर तुम्हारी यादें अक्सर मुझे "अनाहूत” की तरह आ जाती। 

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तेरे बगैर हम युहि कहीं सुवह से शाम गुजार लिया,
यादों में दिन ख्वाबो में रात कई साल गुजार दिया। 

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सुन पगली मैं इतनी आसानी से तुझे भूला नहीं सकता,
हाँ, ये बात अलग है साँसें रुक जाय व दिमाग तुझे याद ना कर सकें।

⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐ 

किसी की नजर में खुद को गिरा लेना कहां की अकल मंदी है ?
खुद को गिराकर किसी की जिन्दगी सवार देना जरूर अकल मंदी है।

⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐ 

कैसे कैसे लोग होते दर्द को मीठा कहते,
जख्म को तोहफा समझ गले लगाये रहते।
खुद से ही बातें करते अपनी ही दुनिया में रहते,
लाख दे दो हुर इनको प्यार से ना धोखा करते। 

⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐ 

मैंने हर चीज को बिकते हुए देखा है बाजार में,
आप ना मानो मगर मोहब्बत भी बिकते है बाजार में।
हमारा प्यार क्यों बिखर जाता परवान चढ़ने से पहले,
क्योंकि Dr. En. Gov. IT वाले खरिद ले जाते शहर में I
             (खरीद=शादी)
                           


                                                           ⭐ Anand 

21 January 2020

KHYAL/Poetry:--आज फिर“मिलन"



कभी आखो के तारा थे, उसीके दिल में रहते थे, 
मैं कहता हू नहीं ऐसा वही ऐसा मुझसे कहते थे 
तुम्हे ना देखू सुबह को तो दिन अच्छा नहीं होता, 
तुम जो दिख जाओ हमे तो दिन अच्छा हो जाते थे 
मैं कहता हू नहीं ऐसा वही ऐसा मुझसे कहते थे 
गुजारो कुछ पल साथ तो वक्त भी यु कट जाते थे, 
अकेले में वक्त साये की तरह ठहर जाते थे, 
मैं कहता हू नहीं ऐसा वही ऐसा मुझसे कहते थे 
जमाने से हम लड़ सकते, तुम दोगे साथ मेरा, 
कियो झूठी तसली वो हर पल देते रहते थे 
मैं कहता हू नहीं ऐसा वही ऐसा मुझसे कहते थे

⭐⭐⭐⭐⭐⭐

हाले दिल सब पढ़ लेता है, कोई मुझे पढ़ नहीं पाता।
मतलबी है ये दुनिया वाले, मेरी आँसू कियो नहीं दिखता।

⭐⭐⭐⭐⭐⭐

आज फिर “मिलन” पीने की जीद ना करो,
मैं पहले से ही बहुत ज्यादा पी रखा हूँ ।
गम आए मेरे दरवाजे पे तो खुद झक मारे,
पहले से ही बहुत गम दिल में भर रखा हूँ।
जब हजार दिल इस चेहरे पे रिझते थे,
मैं गुमान में कुछ इस तरह फुला रहता था।
ये फैसला नहीं तो और किया है कुदरत का ?
सब हँसते है मुझ पे और मैं चेहरा छुपा रखा हूँ।




⭐ ANAND

KHYAL/Poetry:--अपनी आँखों से देखा तो


सोचता हू कभी तो सिर्फ़ तुम्हारा ही ख्याल आता है ?
हर फूल किया हर पतियों में तुम्हारा ही चेहरा दिखाई देता है ?

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मेरे और आपके बीच अजीब से रिश्तों का एहसास है ? मैंने कभी 
कहने की हिम्मत नहीं की ?आपने कभी समझने की कोशिश नहीं की ? 

⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐
 
अपनी आँखों से देखा तो अजनबी सा लगा, 
माथे को दुखाया तो सारा समंदर याद आने लगा। 
हाँ, तुम वो ही हो ना जो वर्षो पहले मेरी आरजु बनी थी ? 

⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐ 

दिल परेशान है इस कदर आज क्यों फिर से, 
दबी हुई मोहब्बत जाग उठी आज क्यों फिर से। 

⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐ 

जितनी इज्जत से तुझे प्यार करता था या करते है। 
उतनी ही इज्जत से तुझे प्यार करते रहेंगे। 
ये तुझको और अपने आपको विश्वास देता हूँ 

⭐⭐⭐⭐⭐⭐ 

कहने के लिए मैं शायर हूँ इसलिए हर इंसान की नियत 
पहचाता हूँ, मगर मेरे शेर भी झूठे होने लगते उस बेवफा को 
देखकर जिनका तारिफ किया करता था कभी शेरो में। 

⭐⭐⭐⭐⭐⭐ 

बच्चे है नादान है पाँच सो हजार में मान जाते है ? 
मार देते पत्थर हिफाजत करने वाले फरिसते को, 
कभी तो अकल आयेगी इन नादान बच्चों को ? 

⭐⭐⭐⭐⭐⭐ 

ऐ खुदा तुम्हें किस तरह मैं बखसू समझ नहीं आता, 
अगर जुदा ही करना था तो उनसे मिलाया ही क्यों था? 

⭐ ANAND

Khyal/Poetry:--मैं दीवाना बनू या पागल


मिलन की आश दिल में लिए दो बसंत बितने वाला है,
मन कहता चल उड़ जा पंछी अपना देश ?
तजुरवा कहता कुछ देर तो रुक सबेरा होने वाला है।

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मेरे मुस्काने की बजह मत पूछ ? “दर्द ए जख्म” उभर जाएगे,
तुम भी ओंरो की तरह “खिस्सा ऐ आम” सुन चल दोगी ?
मैं भी पहले की तरह जख्म ए मरहम मलता रह जाएगा।

⭐⭐⭐⭐⭐⭐

मैं दीवाना बनू या पागल बनू इल्जाम ना तुझपे आएगा
बेफिक्र रहो, खुश हाल रहो, जिस जगह पे हो आवाद रहो,
मैं कल भी खामोश था आज भी हू और कल भी रहूँगा

⭐⭐⭐⭐⭐⭐

उसके साथ मिलकर ख्वाब क्या सजाउ, खाख ?
वो कल किसी और के साथ थी, जो आज मेरे साथ है,
परसो किसी और के साथ होगी, जो आज मेरे साथ है,
मगर मुझ जैसे दिवानो का किया जो रोज छलै जाते है ?

⭐⭐⭐⭐⭐⭐

गर प्यार दोनों तरफ होता तो हम एक दूसरे को भुला दिये होते ?
प्यार तो मैंने एक तरफा किया था। इसलिए अब तक भूला ना पाये ।



⭐ आनन्द

POETRY:--आपकी मर्जी आप ही जानो


तुमने छेड़ा मुझे मैं तो पागल हुआ,
अच्छा पहले ही था जो छेड़ा ना था।
जख्म फिर से हरे आजकल हो गये, 
अच्छा पहले ही था जो कूदेड़ा ना था 
तुझको भूला दू तुने वर्षो पहले कहा था,
इस दिल पे पत्थर मैंने रख लिया था,
दर्द फिर से शुरू आजकल हो गये,
अच्छा पहले ही था जो पत्थर हटाया ना था 
आँसू छलक आया आज इन आँखों में,
सूखे पड़े थे पत्ते अपने ही साखो में,
जिशम में जान फिर आजकल आने लगे,
अच्छा पहले ही था जो जिशम में जान ना था 
(छेड़ा= याद दिलाना)

⭐⭐⭐⭐⭐⭐

आपकी मर्जी आप ही जानो,
दिल को लगाओ या दिल को तोड़ो।
मैं तो हूँ इक नादान खिलौना,
आपकी मर्जी दिल से जितना खेलो।
मैं तो फूल बना आपकी खातिर,
आपकी मर्जी पैरों से जितना कूचलो।
मैं काफी हूँ गम उठाने के लिए,
आपकी मर्जी इस काबिल ना समझो।
“मिलन” की आश इन आँखों में,
आपकी मर्जी हमसे मिलने ना आओ। 


⭐ ANAND