18 January 2020

KHYAL/POETRY:- तुम्हारा नाम आज भी


सिकायत ये नही खुदा से की तुझे पा ना सका
हां शुक्रगूजार हू खुदा का कि मेरे आसुओं को 
अल्फाज बना तुझ तक पहुचा रहा

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मैं खुश था वो मेरी पहली और आखिरी तलाश थी
मगर, वो मुझसे खुश नहीं उसे किसी और की तलाश थी ?

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तपन तो हर चीज में है अगर, सूरज में है आग
तो चाँद में सितलता मुझ में है प्यार तो तुझ में नफरत 

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तुझसे मोहब्बत करने के लिए गलियों से दोस्ती करनी पड़ी
तुझसे मोहब्बत तो होना सका ?मगर, दोस्तों से आज भी 
दोस्ती निभानी पड़ी 

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तुम्हारा नाम आज भी उतना ही फ़क्र और इज्जत से लेता हूँ
जितना की पहले अदब से लिया करते थे

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तुझे पाने की हसरत पहले था, अब नही है
धडकन में तेरा ही नाम सुनू, ये ललक आज भी है 

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तलब कुछ इस कदर, मेरे दिलो ए दिमाग में लगा 
कि जब तक तेरा नाम ना लू, जान ए सुकून नहीं मिलता 

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तुम हमारे जिन्दगी से जाना चाहती तो 
क्षणीक शौक के लिए कभी मत जाओ ?
सीता बन पतिव्रता की अग्निपरिक्षा 
देने के लिए कभी मत आओ।
जमाना किसे और क्यों ताना मारेग 
इसका थोड़ा सा भी गम नहीं है तुझे
मैं टूटा कमजोर दिल मिलूंगा मुझे वो
राम बनाने के लिए कभी मत आओ ?


⭐ ANAND

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