20 January 2020

khyal/Poetry:-पलटता हूँ बार बार किताबों


पलटता हूँ बार बार किताबों के पन्ने,
यु हि पलट जाते मेरी जिंदगी के पन्ने।
सपने रोज देखता हूँ रातों को मगर,
हिम्मत नहीं जुटा पाता हूँ जो हैं कहने।
सब अपने मतलबो के लिए चाहा मुझे,
मेरी चाह कोई समझे कहां नसीब है अपने।
मेरे जख्म पे मरहम हर कोई लगाया,
जख्म देने वाले आओ तो सही मिलने।
मिलन उन्हें दुआओ में खुशियाँ देगा,
होंगे खुश मौत पे, तो चला मौत से मिलने।

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अकेले ही अकेले मुसकूरा लेता हूँ,
राज गहरा मन ही मन दोहरा लेता हूँ।
कोई पूछ लेता मुझसे मुस्कूराता देख,
फिर एक नया बहाना बना लेता हूँ।

⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐

टूटे हुए तारों को देख मंन्रते पुरी होती है, 
कसमे खाये दोस्त दूर होते नजर आते है।
समभल कर ख्वाब सजाना ए नादान मिलन
वरना हकीकत भी सपने होने लगते है।

⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐

दूपटा से लिपटा तेरा चेहरा सरमा रहा हैं, 
बादलों में चाँद जैसे खुद को छिपा रहा हैं।
होता यकीन नहीं तो आईना से पूछ लो,
खुद जान जाएगी की तुम कितनी हसीन हैं।

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दुआओ का दौर जारी है, दवाओं का दौर जारी है,
जिसने भी सुनी मेरी कहानी और देखी हालात ?
सबने कहा इसकी तो अब जान जाने की तैयारी है।

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एक कमी है मुझमें यारो, हाले दिल सब कह देता हूँ।
बदकिस्मत अपनी यारो, सबको सब कुछ कह देता हूँ।


⭐ आनन्द

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